Thursday, October 6, 2016

बिग बैंग

ब्रह्मांड में अरब हा अरब कहकशाएँ (Galaxies) हैं जो इस बात का बेन सबूत हैं कि ब्रह्मांड हमारे विचार से भी अधिक व्यापक है। अक्सर हमारे मन में यह सवाल क्लबलाता है कि यह इतना विस्तार योग्य ब्रह्मांड कब और कैसे अस्तित्व में आई.साइनस दानों के अनुसार आज से लगभग 14 अरब साल पहले कुछ भी मौजूद नहीं था .माहरीन खगोलीय अनुसंधान और अध्ययन के अनुसार ब्रह्मांड की उत्पत्ति आज लगभग "14 अरब साल पहले होई.ान के अनुसार बिग बैंग (ांजार महान या विस्फोट महान) से मकां और ज़माँ (Space and Time) की उत्पत्ति हुई। हम इस लेख में यह जानने की कोशिश करेंगे कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति कैसे होई.हमारा यह यात्रा ब्रह्मांड की शुरुआत से लेकर उसके अंजाम तक ज़मान व मकान से होता हुआ गुज़रेगा।

  माहौल ग्रह हमारी दुनिया है। शहर, जंगल, समुद्र, और लोग सब कुछ है कि इस दुनिया और ब्रह्मांड में मौजूद है इस पदार्थ से बनी है जो बिग बैंग के शुरुआती कुछ ही सेकंड में बना हुआ। हर सितारा, हर ग्रह, घास का प्रत्येक पता, पानी की प्रत्येक बूंद प्रत्येक सार, यह सब उसी पदार्थ से पैदा हुआ है .हाईडरोजन वे सार जो यहां मौजूद हैं उनके केंद्र बिग बैंग के कुछ पल बाद ही अस्तित्व में आ गए थे। बिग बैंग ब्रह्मांड के जन्म के एक निर्धारित क्षण है। हमारा मा अतीत, वर्तमान और भविष्य सब घटना में कैद है। यह सब जानने के लिए हमें बहुत दवर्का यात्रा करना होगा। हमें सौर प्रणाली को पार्करके अपनी आकाशगंगा विदेशी द्वार (Milky W ay) से भी आगे जाना होगा। जब हम ऊपर अंतरिक्ष में देखते हैं तो दरअसल हम मा अतीत में झांक रहे हैं। अंतरिक्ष में दूर तक देखने से हम सक्षम हैं हम युग की शुरुआत को देख सकें। पहली नवजात आकाशगंगा और उसमें निहित पहले सितारे भी पास करके हम ब्रह्मांड के शुरुआती दौर में आ चुके हैं। बिग बैंग इस समय विज्ञान की सबसे बड़ी पहेली बनी हुई है।दरअसल हम जानना चाहते हैं बिग बैंग के समय क्या हुआ, कैसे हुआ और क्यों हुआ था, और इससे पहले की थी। इन सब सवालों के जवाब के लिए वैज्ञानिक हमेशा प्रयासरत रहे हैं। इस उद्देश्य के लियेउन्होंने बड़ी-बड़ी महान ालजतह मशीनों और शक्तिशाली दोर्बियनें करें ताकि वे इन सभी परिस्थितियों की नकल कर सकें जब ब्रह्मांड की रचना की जा रही थी। प्रत्येक गुज़रते दिन के साथ हम इसतथ्य के करीब होते जा रहे हैं कि हम यहाँ क्यों हैं और कहां से आए हैं। क्या वास्तव में ब्रह्मांड का कोई बिंदु शुरुआत थी? इसका अंजाम क्या होगा? अगर हम इन सवालों का पूरा जवाब मिल लें तो यह मानवता की एक महान जीत होगी। शायद हम यह जान सकें भगवान ने उसे क्यों बनाया है। बिग बैंग की उत्पत्ति एक सरबसतह रहस्य है और जैसे-जैसे हमारा ज्ञान बढ़ रहा है वैसे-वैसे यह रहस्य और गहरा होता जा रहा है। हम इस बात पक्के तौर पर नहीं कह सकते कि हमारे ब्रह्मांड एक अद्वितीय स्थान है। शायद हमारे ब्रह्मांड कई अन्य काईनातों में से एक हो। यह भी संभव है कि यह बिग बैंग के कारण ब्रह्मांड उपस्थिति निकाला हुआ हो कई अन्य बड़े बींगों में से कोई एक हो.या फिर यह भी हो सकता है कि बिग बैंग तो एक ही हो मगर हमारे ब्रह्मांड अनंत काईनातों में से एक हो। यह भी सही संभव है इन अनंत काईनातों में कुछ स्थान ऐसे हैं जहां अभी भी बिग बैंग घटित हो रहा है। फिलहाल तो हम केवल अपनी ब्रह्मांड के बारे में ही बात कर सकते हैं, हालांकि इस ब्रह्मांड को भी समझना इतना आसान नहीं है।

  1920 ؁ दशक सेपहले हम ब्रह्मांड के बारे में जो कुछ जानते थे वह बिल्कुल बदल गया था। यह बात समझना बहुत जरूरी है कि पिछली सदी में ब्रह्मांड संबंधी सूझबूझ किस हद तक बदल गई है।बीसवीं सदी में हम यह समझते थे कि ब्रह्मांड अनन्त और सा रहा है। 1929 ؁ में सब कुछ बदल गया। विश्वप्रसिद्ध माउंट विल्सन रसद स्थान (Mount Wilson Observatory) जो अमेरिका के शहर लॉसएंजिल्स में स्थित है वहां पर मौजूद खगोलविदों एडविन हबल (Edwin Hubble) मैंने पूछा (देखें। फोटो नंबर 1) कि कहकशाएँ किसी एक जगह पर निवासी नहीं हैं। न केवल वे हरकत कर रही हैं बल्कि जमीन से नाक़ाबिले यक़ीन गति से भाग रही हीं.दरहकीकत यह बिग बैंग से संबंधित पहली गवाही थी। औसत "सभी कहकशाएँ हमसे दूर भाग रही हैं। इतना ही नहीं बल्कि जो आकाशगंगा हमसे जितनी दूर है वह इतनी तेजी से हमसे दूर भाग रही है। मसलन अगर कोई गैलेक्सी हमसे दगने दूरी पर है तो वह दोगुनी गति से दूर हो रही है और अगर तीन गुना दूरी पर है तो तीन गुना गति से दूर हो रही हेिली हज़ालकाज्। सब कुछ हम से दूर भाग रही है आज हम इस कलए को हबल के कानून (Hubble ' s Law) के नाम से जानते हीं.हबल यह पता तो शुरुआत थी। आकाशगंगाओं के हरकत से हबल ने यह साबित कर दिया था कि ब्रह्मांड फैल रही है। सैद्धांतिक रूप से फैली हुई ब्रह्मांड अतीत के किसी मौके पर निश्चित रूप से एक जगह पर एकजुटता होगी। ब्रह्मांड की फैलती हुई गति से खगोलविदों ने यह अनुमान लगाया कि जब यह पदार्थ एक जगह पर एकजुटता हुआ होगा।

अक्सर हमारे मन में यह सवाल उठता है कि जब हम ब्रह्मांड के जन्म के समय मौजूद नहीं थे तो हमें कैसे पता चला कि ब्रह्मांड की उम्र 13.75 अरब साल है। इस बात को हम एक सरल उदाहरण से समझ सकते हैं। हम जब कोई वीडियो देख रहे होते हैं तो हम इसे रोकने (Stop) और पीछे (Rewind) करने पर भी समर्थ होते हैं। हम इसे दोबा रह भी चला सकते हैं। कोनियात में भी बिल्कुल ऐसा ही होता है। जब हम कोनियाती विस्फोट की बात करते हैं तो यह वीडियो के उदाहरण उस पर लागू होती है। अतीत में झांकने के लिये किसी विशेषज्ञ की जरूरत नहीं होती। जब आप दृष्टि उठाकर आकाश में रात सितारे देखते हैं दरअसल इन प्रकाश आप तक कि रोड़ों प्रकाश वर्ष (Light Year) की दूरी तय करके पहुँच रही होती है। इस बात का सीधा मतलब यह है कि इन सितारों की रोशनी हम तक पहुंचने के लिये करोड़ों साल की आवश्यकता है। इसलिए यदि आप और दूर तक देखने में सक्षम हो जाएं तो इस इसका मतलब है कि आप ब्रह्मांड को के पहले समय में देख सकते हीं.हबल स्पेस टेलीस्कोप (जो नामक एक क्रांतिकारी खगोलविदों के नाम पर रखा गया है) के जरिए हम इसके लायक हो गए हैं (देखें। फोटो नंबर 2) कि अंतरिक्ष बसी् में अतीत के झरोखे में झांक स्कें.रिाय जितना दूर तक हम देख सकें उतना ही करीब हम बिग बैंग को भी देख सकेंगे। वैज्ञानिकों के लिए बिग बैंग की उत्पत्ति को देखा तो बस शुरुआत है!

आम आदमी जब बिग बैंग के बारे में सुनता है तो वह पूछता है कि किस जगह घटित हुआ था। इस सरल जवाब है कि यह हर जगह घटित हुआ था क्योंकि ब्रह्मांड इस समय बेहद मखतसरसी जगह थी।ब्रह्मांड के बारे में अब हमारा नजरिया काफी अस्पष्ट और मुश्किल है। मगर मन की चूलें हिला देने वाला सवाल यह है कि बिग बैंग से पहले था.कदीम युग के विद्वानों अक्सर कहते थे कि ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई चीज़ न (Nothingness) अचानक अस्तित्व में आ जाए। आश्चर्यजनक रूप से कानून भौतिक  अत प्रकाश में ऐसा होना संभव हे.सीधे शब्दों में बात यह है कि हमारे पूरे ब्रह्मांड और उसमें निहित प्रत्येक आइटम सहित खाने, पीने, क  ढ़ना, बिच्छू, हमारे प्यारे बातें आदि सब सब अचानक अदम से अस्तित्व में आ गई। आज बिग बैंग को समझने के लिए जो सबसे बड़ी बाधा है वह ब्रह्मांड के गैर अस्तित्व में आंाही है। सबसे पहले तो हमें इस बात पर विश्वास करना होगा कि ब्रह्मांड अदम से अस्तित्व में आई है। यह निश्चित रूप से असंभव सी बात है और इस बात को समझना मानव मन के लिये आसान नहीं है। हम सिर्फ इतना पता है कि गैर अचानक असीमित ऊर्जा और असीमित घनत्व ने जन्म लिया। ब्रह्मांड का सबसे बड़ा रहस्य यह के गैर अस्तित्व में आना ही है। लेकिन अगर आप गैर अस्तित्व को समझना शुरू कर दिया तो मानो आप बिग बैंग को समझना शुरू करदया.आगाज़ समय ब्रह्मांड एक महान विस्फोट से अस्तित्व में आ गई। ब्रह्मांड इस समय वास्तव में एक बिंदु था ।यह बात असीमित रूप में छोटा, ना बोधगम्य रूप से गर्म और असीमित और अंतहीन घनत्व और ऊर्जा शामिल था। हम बिग बैंग की महानता का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि सारे का सारा पदार्थ और ऊर्जा कि लगभग 4 खरब आकाशगंगाओं में हम देखते हैं वह सब का सब इस बात में कैद था जिसमें परिमाण एक सादे सबसे हाइड्रोजन का सार से भी कम थी। नमूदार सभी ब्रह्मांड तब करोड़ हा करोड़ सेमी जितनी छोटी थी। सब कुछ अविश्वसनीय घने और गर्म थी तब तक मुक्ति अस्तित्व में नहीं आया था बस ऊर्जा एक भपरी हुई रूप में मौजूद थी। बस यही बिंदु शुरुआत थी हमारे ब्रह्मांड और उसमें मौजूद हर चीज का। इस समय सब कुछ बहुत ही सरल थी। ब्रह्मांड की वे सभी बुनियादी शक्तियां जिन्हें हम आज जानते हैं वह सब एक और गठबंधन थीं समय ब्रह्मांड कोई विशेष क्रम में नहीं ढली हुई थी न ही कोई संरचना थी। इस सर्वोच्च समय में नियमों भौतिकी (जिन्होंने ब्रह्मांड को मौजूदा शक्ल व सूरत दी है) ही गठन पा रहे थे.कशश गुरुत्वाकर्षण (Gravity) पहली शक्ति के रूप में प्रकट हुई। ब्रह्मांड और उसमें मौजूद हर चीज की किस्मत का फैसला तभी हो गया था।

कार्लोस फ्रैंक (Carlos Frenk ) एक सुपर कंप्यूटर पर कृत्रिम रूप से इस बात को समझने की कोशिश की कि किस तरह गुरुत्वाकर्षण ब्रह्मांड अपने मौजूदा रूप दी। विभिन्न अनुभवों किए और हर अनुभव में उसने गुरुत्वाकर्षण की शक्ति में कमी बेशी की। पहले अनुभव में उसने गंभीरता को कम शक्ति दी है जो नतीजा कुछ भी नहीं निकला इतनी कम तकली बल के साथ पदार्थ एक साथ एकजुटता हो ही नहीं सकता था। शक्ति गुरुत्वाकर्षण के अनुरूप शक्ति ने हमें बचा लिया क्योंकि अगर यह अपनी मौजूदा ताकत से थोड़ी सी भी कम होती तो हमारे ब्रह्मांड बहुत ही बीज़्रमिक जगह होती जिसमें सब कुछ एक दूसरे से दूर भाग रही होती और जब पदार्थ एक जगह इकट्ठा न होता तोस्तारों कोजनम देने वाले गरदो गुबार बादल कैसे अस्तित्व में आते हैं। हमारे ब्रह्मांड को अपने मौजूदा शक्ल व सूरत देने में तकली बल का बड़ा ही महत्वपूर्ण भूमिका है। अगर तकली शक्ति अपनी मौजूदा ताकत से जरा भी कम होती तो सितारे होते न उनसे भरी कहकशाएँ और न कुछ और। दूसरे अनुभव उसने बलगुरुत्वाकर्षण को अपने मौजूदा ताकत मुकाबले अधिक शक्ति दी। नतीजा वही ढाक के तीन पात। अगर गुरुत्वाकर्षण मौजूदा ताकत से जरा भी अधिक होती तो परिणाम केवल ब्लैक होल ही मामले में प्रकट होता है। ब्रह्मांड के गठन और वर्तमान स्वरूप और स्थिति को बनाए रखने की लिये तकली शक्ति बिल्कुल इतना शक्तिशाली होना चाहिए था जितना सही वह समय है। यह हमारे भाग्य था बिग बैंग के समय तकली शक्ति उतनी ही थी जितनी इस होना चाहिए था। पहले सेकंड के शुरुआती कुछ हिस्से में जब तकली शक्ति अस्तित्व में आ गई थी और विभिन्न शक्तियों का हंगामा खीज़ी जारी थी, तब ऊर्जा सदमाती लहर (Shock Wave) के फूट पड़ने से ब्रह्मांड अकल्पनीय गति से हर सौ फैल गई। सेकंड के कुछ हिस्से में ही ब्रह्मांड अविश्वसनीय फैल चुकी थी। एक अनुमान के अनुसार एक दूसरे केसौ खरबोें हिस्से के सौ खरबोें हिस्से के दौरान यह ब्रह्मांड एक खरब खरब गुना से भी अधिक फैल चुकी थी।

ब्रह्मांड के फैलने की गति प्रकाश की भी गति तेज थी। यह तो हर व्यक्ति और नॉक्स को पता है कि कोई भी चीज प्रकाश की गति से तेज यात्रा नहीं कर सकती तो फिर खाई कैसे प्रकाश की गति से तेज यात्रा कर सकती है। तो क्या वह भौतिक  अत कानून तो नहीं तोड़ दिया था । यह बात तो शीर्ष विज्ञान दिनों को भी परेशान रखती है। मगर महत्वपूर्ण बात इस समय ब्रह्मांड को जानना है। यह बिल्कुलऐसा ही है कि हाइड्रोजन का एक सरल सार इतने ही समय में फैल करगाल्फ़ की एक गेंद जितना हो .हमारे लिए शायद जो हर ाोरगाल्फ़ गेंद मात्रा को समझना मुश्किल हो मगर ागरगाल्फ़ की एक गेंद फैल इतने ही समय में दुनिया के जितनी हो जाए तो शायद बात समझने में हमें आसानी हो। यह तो फिर वही बात होगी जिसका मतलब प्रकाश की गति से भी अधिक हुआ। 2 बात दरअसल यह है कि प्रारंभिक समय में बहुत सारी चीजें हैं जो एक दूसरे के बहुत निकट थे बहुत ही तेजी के साथ घटित हुईं। इस बात को सही ढंग से समझने के लिये हमें समय की एक नई इकाई बनाना होगी.ीिनी कि पलानक समय (Planck Time) 

पलानक समय कितना मखतसरपीमाना होता है इस बात को समझने के लिये सोचिए कि एक पलानक समय इतनी इकाइयों होते जिनके की संख्या इतने सेकंड से भी छ यादा है जितने सेकंड बिग बैंग से लेकर कराब तक गुजरे हैं। आज बिग बैंग हुए लगभग "14 अरब साल हो चुके हैं। इसलिए 31,556,926 गुणा दें 14 अरब से और प्राप्त होने वाला जो जवाब आएगा वह वास्तव में सिटी घुमा देने वाला अंक है। समय का योग इस इतना कम है कि इंसान इसका एहसास नहीं कर सकता। अगर हम अपनी घड़ी को देखते हुए एक सेकंड पलानक समय में नापने की कोशिश करें तो वे कितने पलानक समय होता है।वह एक सेकंड एक अरब अरब अरब अरब अरब पलानक समय होता होगा .चलें अब वापस बिग बैंग शुरू के पहले समय चलते हैं। इस समय बिग बैंग की उम्र कुछ पलानक समय ही थी। इस समय पदार्थ बहुत ही तेजी के साथ ब्रह्मांड में फैल रहा था। अगले कुछ पलानक समय में ब्रह्मांड का पुनरुद्धार इस तरह स्थापित होने जा रहा था जैसा दौरे हाज़िर है। हथेली पर समा जाने वाली इतनी छोटी ब्रह्मांड एक सेकंड के कुछ हिस्से में ही माहौल ग्रह परिमाण को पार करती हुई सौर प्रणाली से भी बड़ी हो गई थी तब तक ब्रह्मांड एक उग्र हुई ऊर्जा तूफान थी। वह अनंत और अंतहीन रूप से गर्म और घने थी जिसमें का हम कल्पना भी नहीं कर सकते। बस इतना समझ लें की तुलना में किसी भी सितारे का दिल बहुत ही शांत और आराम लगेगा.ास समय तापमान हद था कि हमारा शरीर चींटी जाता। बल्कि यूं कहना ज्यादा उचित होगा कि तापमान में जौहर भी अपना वजूद कायम न रख सकें। इस समय स्थिति जरारत दसियों खरब डिग्री तक जा पहुंचा था.जीसे जैसे ब्रह्मांड अपने प्रसार वैसे-वैसे उसका मूल्यांकन जरारत कम होता गया। दुर्लभ तापमान ब्रह्मांड के विकास के अगले चरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। महान विस्फोट से उत्पन्न होने वाली शुद्ध ऊर्जा सार उप कणों (Subatomic Particles)में परिवर्तन होना शुरू हुआ। इस सर्वोच्च गठित होने वाला पदार्थ था।

ऊर्जा पदार्थ में परिवर्तित होने का सिद्धांत पहले अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein) ने बिग बैंग सिद्धांत से काफी पहले दिया था। यह वही वैज्ञानिक समीकरण है जिसे लगभग "सब जानते हैं। वही सलाह ज़माने मानदंड" "है (देखें। फोटो नंबर 3)। यही मानदंड हमें बनाया ब्रह्मांड के बारे में जागरूकता देता है। यह बताता है ब्रह्मांड की उत्पत्ति केवल शुद्ध ऊर्जा से हुई थी जो बाद में पदार्थ पैदा हुआ। ऊर्जा और पदार्थ एक ही चीज़ के दो अलग अलग आकार है। पदार्थ ऊर्जा में और ऊर्जा पदार्थ में बदल सकता है। हम ब्रह्मांड की हर चीज़ उस शुद्ध ऊर्जा से प्राप्त कर सकते हैं। आइंस्टीन की यह छोटी सी समानता निहायत ही प्रभाव था। इसी के आधार पर पहला परमाणु बम बनाया गया। परमाणु विस्फोट में पदार्थ की एक छोटी राशि जबरदस्त ऊर्जा में बदल जाती है। ब्रह्मांड के निर्माण में इसकाबिल्कुल उलट हो रहा था। शुद्ध ऊर्जा पदार्थों में बदल रही थी। शुरू में पदार्थ की जरूरत नहीं थी बस ऊर्जा ही चाहिए थी। केवल ऊर्जा ही पूरा ब्रह्मांड अस्तित्व में आ सकती थी बिग बैंग के पहले सेकंड के कुछ ही हिस्से में ब्रह्मांड को आधार प्रदान करने वाले उप परमाणु कणों होना शुरू हो गए थे। सर्वोच्च समय में अस्तित्व आने वाला पदार्थ इस पदार्थ से जो हम आजकल निरीक्षण करते हैं बिल्कुल हीअलग था। अब हमें यह बात मालूम हो चुकी है कि आम पदार्थ बिग बैंग की शुरुआत में बनने वाले पदार्थों से काफी अलग था। जिसकी वजह इस समय चरम स्थिति थी जिसने तब तक किसी भी कोईसार पनपने नहीं दिया था। बस सारा पदार्थ उप जौहरों पर ही होता था। बिग बैंग के समय ब्रह्मांड छोर स्तरीय गर्म और घने थी वह अनंत और अंतहीन ऊर्जा शामिल थी। तब पदार्थ ऊर्जा में और ऊर्जा पदार्थ में तब्दील हो रही थी। सर्वोच्च निर्माण होने वाला पदार्थ इतना चर था कि वह ब्रह्मांड के गठन के शुरुआती आधार प्रदान नहीं कर सकता था।

इस बात को हम एक उदाहरण से समझ सकत एस है। आप किसी बड़े बाजार का दृश्य इस व्यस्त समय कार में तदरमें लाई। इस बाजार को शुरुआती ब्रह्मांड और भीड़ से निकलने और उसमें गुम होने वाले लोगों को उप परमाणु कणों समझें। यदि आप एक बड़ी भीड़ की कल्पना कर लिया तो आप देखेंगे भीड़ में लोगों का निकलना और इसमें गम होना कोई विशेष क्रम से नहीं होगा बलके वे ख क्षारीयतायादृच्छिक होगा। लोगों की यह हरकत काफी ब्रह्मांड के शुरुआती समय में होने वाली उप जौहरों की हरकत से मिलती जुलती हे.शरोझती ब्रह्मांड के सीमा स्तर गर्म तापमान ने ऊर्जा से भरपूर उप जौहरों में जबरदस्त हलचल पैदा कर दी थी। वे दिखाई देते हैं और गायब हो जाते। इन के हाज़िर व गायब होना अविश्वसनीय गति और अजीब अराजकता में हो रहा था। कल्पना कीजिए कि किसी ट्रेन क स्टेशन पर लोग ट्रेन में जल्दी जल्दी में सवार होने की कोशिश कर रहे हों तो क्या होगा। शुरू में लोग गंभीर दबाव में होंगे प्रत्येक जल्दी जल्दी उस पर चढ़ने की कोशिश कर रहा होगा मगर जैसे-जैसे भीड़ कम होगी वैसे-वैसे लोग शांत होकर ट्रेन पर सवार होंगे। उप परमाणु कणों के व्यवहार शुरुआती ब्रह्मांड में सब ऐसे ही था। शुरू में कणों बहुत तेजी से आगे रहे थे। मगर फिर उनकी हरकत धीमी पड़ गई थी।और इसमें यादृच्छिक कारक भी काफी हद तक कम हो गया था। ब्रह्मांड के तापमान में जब भारी कमी हो गई तो कणों ने वापस ऊर्जा में परिवर्तित होना बंद कर दिया। इस समय बस उप परमाणु कणों ही हर जगह मौजूद थे.दरजह तापमान में काफी कमी होने के बाोजूदुकायनात में अभी भी काफी गर्मी और हंगामा खीज़ी जारी थी। यह सब कुछ सेकंड के कुछ ही हिस्से में हो रहा था। बिग बैंग पहले सेकंड के सबसे महत्वपूर्ण हिस्से में प्रवेश कर रहा था। चरण में एक युद्ध पदार्थों और जिद्दी पदार्थों (Antimatter) में शुरू हो चुकी थी। जिद पदार्थ ब्रह्मांड पैदा होने से पहले ही खत्म कर सकता था.काईनात की हर चीज़ जिसमें छोटे कण से लेकर महान ालजतह सितारों तक शामिल पदार्थों से बनी हुई हे..ाोर सारे का सारा पदार्थ बिग बैंग की शुद्ध ऊर्जा ही बना पाया है।

आइंस्टीन विश्वप्रसिद्ध समानता हमें बताता है कि पदार्थ और ऊर्जा एक ही चीज के दो नाम हैं। जब आयन क एज़नस्टाईन ने यह सिद्धांत पेश किया था तो वह केवल एक सिद्धांत ही था मगर आज विज्ञान इस सिद्धांत को परख चुकी हे.सरन (CERN) स्विट्जरलैंड में स्थित है, जहां दुनिया की सबसे बड़ी मशीन मौजूद है। यह मशीन एक शहर जितनी बड़ी है। इस विशेष उद्देश्य के लिए बनाया है कि इसमें बिग बैंग के समय की स्थिति को फिर छोटे पैमाने पर बनाया जास्के.हम जितने माइक्रोस्कोप वातावरण में जाँच करनी चा हते हैं ातन ै ही बड़ी मशीन हम आवश्यक होगी। यानी जितने छोटे पैमाने परतजआभह आवश्यकता होगी उतनी ही बड़ी मशीन की आवश्यकता होगी। वर्तमान में इस तरह के विश्लेषण ाोरम्ालिे का दूसरा कोई रास्ता उपलब्ध नहीं है। बड़ी मशीन का मतलब बहुत ही छोटे पैमाने पर भौतिक  अत जाँच करना है। जो हमें शुरूआती समय यानि कि ब्रह्मांड के जन्म के पहले समय वातावरण का विश्लेषण करने में मदद करेगी।

सरन में स्थित दिग्गजों मशीन (Giant Machine) को कोलाईडर कहते हैं जिसका पूरा नाम ( (The Large Hadron Collider । यह मशीन विशेष रूप से इसलिए बनाई है कि हम इस बिग बैंग के पहले समय का अध्ययन कर स्कें.या लगभग "12 फुट चौड़ी कंक्रीट से बनी गोल सुरंग है.इस लंबाई लगभग 17 मील है। इस मशीन में पदार्थ के छोटे कणों को एक दूसरे पर करीब प्रकाश की गति से टकराया जा सकता है।इस प्रक्रिया में एक सेकंड के कुछ हिस्से तक ही रहने वाली जबरदस्त ऊर्जा पैदा होती है। बिलकुल उसी तरह जिस तरह आज से 14 अरब साल पहले बिग बैंग विस्फोट में ऊर्जा पैदा हुई थी। और फिर यह शुद्ध ऊर्जा पदार्थों में परिवर्तित हो जाती है कि जैसे जब बिग बैंग की शुरुआत में हुई थी। इस टकराव का पता लगाने वाला एक दीकामत डिटेक्टरों (Giant Detector) (देखें। फोटो नंबर 4) भी मौजूद है। यह डटकर डायरेक्टर पांच मंजिला उच्च और लगभग "7 हजार टन वजनी है। 7 हजार टन पढ़ने में बहुत मामूली सा लगता है मगर पूरे एफिल टॉवर वज़ न भी अधिक नहीं मगर अपने इस मात्रा के बावजूदभी यह पदार्थों के इन कणों को नहीं देख सकता.वह एक सेकंड के कुछ हिस्से में दिखाई देते हैं और इस तेजी से हरकत करते हैं इन का केवल पीछा करके पता ही लगाया जा सकता है। इन कणों में बहुत अधिक ऊर्जा होती है और वे बहुत तेजी से आगे है। इसलिए हमें दिग्गजों आकार का पता लगाने चाहिए जो इन मार्गों बिल्कुल ठीक मैपिंग कर स्के.बहतर विभेदन पाने के लिए दिग्गजों आकार डिटेक्टरों निहायत जरूरी है। यह बिल्कुल कैमरा ही तरह है जितना अधिक पिक्सेल कैमरा होगा उतनी ही अच्छी तस्वीर मिल। यह डिटेक्टरों पांच मंजिला कैमरा जैसा ही है।

वैज्ञानिक उम्मीद करते हैं कि जल्द ही इस रहस्य से पर्दा उठ जाएगा ऊर्जा किस तरह पदार्थ में बदलती है.आम पदार्थों में नहीं ख लकह ऐसे पदार्थों में जो अब से 14 अरब साल पहले सर्वोच्च समय में गठन पाया था.काईनात फार्म में सर्वोच्च समय बहुत ही नाजुक चरण था। क्योंकि इस समय शुद्ध ऊर्जा बेहद खतरनाक चीज पैदा कर रही थी और वह थी जिद पदार्थ .जी हां जिद पदार्थ बिल्कुल असली है।वास्तव में जिद्दी पदार्थ, पदार्थों के विपरीत है पदार्थों में एक अलग चार्ज होता है और जिद्दी पदार्थ दूसरा चार्ज होता है। मान लीजिए कि हमारा हमज़ाद कि जिद पदार्थ से बना हुआ वास्तव में बिल्कुल हमारी ही नकल होगा। वही चेहरा, वही मेहरा, वही व्यक्ति सब कुछ बिल्कुल हमारे जैसी बस फर्क सिर्फ इतना होगा कि जब हम उससे हाथ मिश्रण होगा तो उस पल एक भयानक परमाणु विस्फोट होगा।

पदार्थ, जिद्दी पदार्थ के साथ ऐसे सेनघ लड़ाते है जैसे वे एक सनातन दुश्मन हूं। और बात बिल्कुल सही है पदार्थों पर सकारात्मक चार्ज जबकि जिद पदार्थ नकारात्मक चार्ज होता हे.काईनात का म् मूल्य पदार्थों और जिद्दी पदार्थों की लड़ाई पर निर्भर था। रसायन और जिद्दी पदार्थों की बराबर की मात्रा एक दूसरे को दूर और क्योंकि पदार्थ और जिद्दी पदार्थ एक दूसरे को नष्ट कर देते हैं तो ब्रह्मांड में कुछ भी नहीं बचता तो वह ब्रह्मांड जिस में छोड़कर विकिरण (Radiation) कुछ भी न बचा हो तोना वहाँ कोई सितारा जन्म ले सकता था न ही कोई आकाशगंगा निर्माण हो पाती और न कोई ग्रह अस्तित्व में आ सकता था और न ही उसमें रहने वाले इंसान पैदा हो सकते थे। आम तौर पर जिस तरह युद्ध में वह पक्ष जीता है जो की संख्या अधिक हो बिल्कुल ऐसे ही पदार्थ और जिद्दी पदार्थों की लड़ाई में हुआ। हालांकिप्रतियोगिता बहुत ही टक्कर का था फिर भी जीत तो एक ही होनी थी। प्रत्येक अरब जिद पदार्थ के कण प्रतियोगियों पदार्थों के ज़र हुई ताज़ा की संख्या एक अरब एक कण थी.ाोर यही वह क्षण था जब पदार्थ गठन पा गया। यही वह एक कण पदार्थ का था जो एक अरब एक कण से बच गया था। 2 इतना दुर्लभ होने के बावजूद भी यह निर्वहन वर्तमान ब्रह्मांड के गठन के लिए काफी था। वे सभी पदार्थ जो आकाशगंगाओं और सितारों में हम आज देखते हैं यह वही बच जाने वाला पदार्थ हे.सनने में एक कण बमकाबल एक अरब एक मुद्रास्फीति एस के बहुत ही तुच्छ सा लगता है। मगर यह सच है कि है कि इससे पूरे ब्रह्मांड बनी। हम सब इसी स्क्रेपर उत्पादन हैं। आप विश्वास आए या न आए वह सब कुछ जो आप अपने आसपास पाते हैं जब तक हम खुद हमारे शरीर का एक सार, सितारों की एक एक कण यह वही शेष पदार्थ। यह वही अंतिम स्क्रेपर है जो पदार्थों और जिद्दी पदार्थों की सनातन लड़ाई के बाद बच गई थी। सौभाग्य से ब्रह्मांड के गठन के प्रारंभिक सेकंड के बहुत ही छोटे अंतराल में यह सारा पदार्थ बच गया था। जिससे ब्रह्मांड में मौजूद हर चीज अस्तित्व में आई।

। ब्रह्मांड अब तक प्रारंभिक छोटे ज़र हुई ताज़ा से ग्रस्त थी। अगला चरण अब जौहरों (Atoms) फार्म लेने का था। ब्रह्मांड की उम्र अभी सिर्फ एक ही सेकंड की थी। (देखें। फोटो नंबर 5) मगर अभी भी यह बहुत ही विचित्र सी जगह थी। फर्क सिर्फ इतना था पदार्थों जिद पदार्थ से युद्ध जीत चुका था। अब समय था ब्रह्मांड के गठन का !!!! यह अभी तक काफी गर्म थी और अविश्वसनीय गति से फैल रही थी। जब ब्रह्मांड की उम्र सिर्फ एक सेकंड थी तब ब्रह्मांडीय कणों आज के मौजूदा स्वरूप से बिल्कुल अलग थे। इस समय कोई सार पैदा नहीं था। हमारे आसपास मोजूदकोई भी चीज तब तक गठन नहीं पाई थी।अब सब कुछ बदलने वाला था। तापमान धीरे-धीरे कम हो रही थी। सर्वोच्च लौकिक ज़र्रों ने अपनी गतिज गति कम करनी शुरू कर दी थी। अब उन्होंने आपस में बंद बांधने शुरू कर दिए थे जिससे सर्वोच्चसार केंद्र (Nucleus) गठित होने लगे थे। पहले हाइड्रोजन के जो प्रत्येक का मरकज़ह बना। इससे अगले तीन मिनट में दो सार हुई ताज़ा केंद्र गठन पा गए जो कि हीलियम और लयतीम के थे.काईनात अब एक प्रकाश वर्ष तक फैल चुकी थी। इन शुरुआती तीन मिनट में जो कुछ हमारे मजेदार पैदा होना था वह हो चुका था। फिर भी यह कुछ इतना अधिक नहीं था। अगर हम इस समय वहाँ मौजूद होते तो कुछ न देख पाते।

हम जब रात को आसमान पर नज़र डालते हैं तो वास्तव में हम अरब हा साल पुराने अतीत में झांक रहे हैं। और हम यह समझते हैं कि शायद यह हमेशा से ऐसा ही था। ऐसा बिल्कुल नहीं है। बिग बैंग केकछ 380 हजार साल बाद ब्रह्मांड कुछ पारदर्शी होना शुरू हुई। पहले वे दूध सी थी। आटे से तरल पदार्थ जो मुक्त इलेक्ट्रॉन होता था। ब्रह्मांड को अपना स्थिति तापमान काफी कम करना था इस हद तक कि इलेक्ट्रॉन धीमे पढ़ जाते और जौहरों बना पाते। ब्रह्मांड अपने मौजूदा संरचना देने में हाइड्रोजन, हीलियम और लयतीम को बहुत लंबे समय इंतजार करना पड़ा.साइनस दानों के अनुमान इलेक्ट्रॉनों मंद होने और बड़ी संख्या में जौहरों बनाने में लगभग " 380 हजार साल लगे। और इस के साथ ही ब्रह्मांड का दुधिया पिन समाप्त हो गया और प्रकाश की पहली किरण अंतरिक्ष में भागने का मौका मिला।

लगभग " 14 अरब साल बाद, दो युवा वैज्ञानिकों ने गलती से इस ट्रैक को पकड़ लिया। 1964 ؁ ए में, आर्नो पनज़ाज् (Arno Penzias) और रॉबर्ट विल्सन (Robert Wilson) लौकिक रेडियोधर्मिता लहरों की मैपिंग कर रहे थे। वह जहां भी देखें हर जगह पृष्ठभूमि में एक अजीब सी भनभना हिट जैसे रेडियोधर्मिता सिग्नल पाते। पहले पहल उन्हें लगा कि उनके उपकरण में कोई ख़रबी हो गई है। उन्हें शक हुआ कि शायद कबूतरों की बीट उनके उपकरण एंटीना पर गिरी है। जिस की वजह से ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं। मगर आंटी की सफाई करने के ख ाोजूद वह सिग्नल वैसे ही मिलते रहे। बहरहाल उन्होंनेअपनी इस का पता लगाने प्रिंसटन विश्वविद्यालय (Princeton University) में चर्चा किया। कथा के अनुसार वहां पर मौजूद एक पीछे बैठे व्यक्ति ने ने पनज़ाज् को संबोधित करके कहा या तो आप पक्षियों गोबर प्रभाव की खोज की है या फिर निर्माण ब्रह्मांड कला उसके शुरुआती दौर की.दरहकीकत यह वही क्षण था जब लगभग 14 अरब साल पहले सर्वोच्च जौहरों उनके इलेक्ट्रॉन मिले थे। यह वही क्षण था जब दोधीाई बादल साफ हुए थे और बिल्कुल नवजात ब्रह्मांड अपना पूर्वावलोकन करने को बेताब थी।

इस यादगार पल को बेहतर ढंग से समझने के लिए नासा ने "कोबे" ( Cosmic Background Explorer Satellite - COBE ) कृत्रिम ग्रह अंतरिक्ष में भेजा। उसने खाई में जा कर विभिन्न स्थानों का तापमान नापने शुरू किया और फिर विश्लेषण किया जिससे इस सर्वोच्च ब्रह्मांड की मैपिंग हुई। इस नक्शे का नाम उन्होंने " देवता चेहरा " (Face of God) रखा। हम नवजात ब्रह्मांड काजू नक्शा प्राप्त किया तब इस उम्र केवल 380 हजार साल ही थी। मगर समस्या यह थी कि वह नक्शा या चित्र बहुत ही धुंधली थी। कोबे से प्राप्त की गई जानकारी पर्याप्त नहीं थीं। यह मिशन शुरुआत में तो बहुत अच्छा लगा था मगरआख़रकार इसे खत्म कर दिया गया.नासा एक और उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़ा जिस का नाम डब्ल्यू मैप (T he Wilkinson Microwave Anisotropy Probe - WMAP) था। 2001 में डेविड उसपर जेल (DavidSpergel ) इस टीम का हिस्सा थे जो का काम शुरुआती ब्रह्मांड की छवि पेश करना था। वह इस यादगार पल के बारे में बताते हैं जब उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़ा था। "यह बहुत ही रोमांचक क्षण था जब मैं केप(Cape) गया यह वह समय था जब मैं अपने परिवार के साथ बैठ कर टीवी स्क्रीन पर रॉकेट अंतरिक्ष में छोड़ते हुए देख रहा था। वह क्षण बहुत ही कीमती था जब हमें अपने कृत्रिम ग्रह के प्रारंभिक संकेतों मिले। और तब हमें संतोष नसीब हुआ कि वे उपग्रहों सही तरह से काम कर रहा है। "

इस कृत्रिम ग्रह से प्राप्त होने वाली तस्वीर अब तक प्राप्त चित्र में सबसे अच्छा था (देखें। फोटो नंबर 6 .इस तस्वीर ब्रह्मांड के जन्म के 380 हजार वर्ष के बाद की थी तस्वीर में लाल और पीले वाले क्षेत्र गर्म और नीले और हरे क्षेत्र ठंडा वर्गों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और तापमान के इसी अंतर से ब्रह्मांड के भाग्य का प्रस्ताव न भविष्यवाणी की जा सकती है तस्वीर में हम बहुत ही मामूली अंतर देख सकते हैं।इस थर्मल अंतर दरअसल घनत्व के अंतर को दर्शाता है। ब्रह्मांड के किस हिस्से में अधिक पदार्थ है और किस हिस्से में कम। एक नक्शे की तरह ही यह हमें बताता है कि कहां अधिक पदार्थ है और कहां कम पदार्थ। वह भाग जहां पदार्थ अधिक नहीं था वह खाली रह गए और जहां अधिक पदार्थ था वह जगह आकाशगंगाओं, तारे, और ग्रहों का घर बनी.लहज़ा स्थिति तापमान के इस अंतर केवल घनत्व के अंतर ही नहीं थे बल्कि यह ब्रह्मांड की मौजूदा संरचना के बारे में काफी कुछ बताते हैं।

अब हमारे ब्रह्मांड की उम्र 380 हजार साल हो चुकी थी और वह अरब हा अरब मेलों में फैली हुई थी। हाइड्रोजन और हीलियम गैसीय बादल अंतरिक्ष में तैर रहे थे। पहला स्टार बनने में अभी भी 20 करोड़ साल बाकी थे। इन सितारों ने इस समय ब्रह्मांड में आतिशबाजी का वह शानदार प्रदर्शन किया जो देखने के अंतर्गत आता होगा.काईनात एक अंधेरे दूर एक ऐसे अद्भुत दौर में प्रवेश कर रही थी जब पहले पहल शीर्ष सितारों ने गैसीय बादलों को अपनी ज़ो से मुनव्वर करना शुरू किया और इसके साथ ही ब्रह्मांड एक भव्य शैली में उज्ज्वल होना शुरू होई.काश कि हम इस नज़ारे को देखने के लिए वहां मौजूद होते। ये बिल्कुल ऐसा ही होगा जैसे किसी नेघप अंधेरे में बिजली कमकमों रोशन कर दिया हो। ब्रह्मांड हर दिशा से उज्ज्वल होना शुरू हो गई थी । जुड़वां सितारे अस्तित्व में आना शुरू हो गए थे। बिग बैंग बीतने कि एक अरब साल बाद पहली गैलेक्सी ने जन्म लिया। अगले आठ अरब वर्षों में अनंत आकाशगंगाओं ने जन्म लिया था। लगभग " 5 अरब साल पहले आकाशगंगा के एक कोने पर बलगुरुत्वाकर्षण ने आसपास और गैस के बादलों को एक जगह इकट्ठा करना शुरू किया। धीरे-धीरे यह पदार्थ इतना जटिल होता गया कि यहाँ से एक सितारे ने जन्म लिया जो आज हम सूर्य के नाम से जानते हैं .बग बैंग के लगभग " 9 अरब साल बाद हमारे छोटे से सौर प्रणाली और में मौजूद पृथ्वी जीवन के लिये निकालने शुरू किए।

बिग बैंग की वजह से सब कुछ का अस्तित्व है। सब कुछ तब से लगातार नशोनमाय पा रही है। सब कुछ जिस की शुरुआत है इस का अंजाम भी होगा.बग धमाके से ले कर अब तक 14 अरब वर्षों में कहकशाएँ बनाने होती रहीं और वह सितारों, ग्रहों, और चंद्रमाओं भर्ती रहीं और इस पूरे समय में ब्रह्मांड लगातार फैलती रही.हम यह बात जान गए हैं कि खाई बहुत बड़ी जगह है। लगभग 150 अरब प्रकाश वर्ष में फैली हुई ब्रह्मांड असीमित हो सकती है। (पाल हालपरन (Paul Halpern) पुस्तक Edge of the Universe - A Voyage to the Cosmic Horizon के अध्याय 1 - How Far Out Can We See ब्रह्मांड का प्रसार 93 अरब साल कहा गया है) क्या यह ब्रह्मांड वाकई हमेशा फैलती रहेगी हो सकता है कि ब्रह्मांड के बाहर कुछ भी न हो। यह भी हो सकता है कि ब्रह्मांड सीमित हो। ऐसा भी हो सकता है कि हम अगर बहुत दूर तक अंतरिक्ष में देखें तो अपने आप को देख स्कें.होसकता है हम कभी नहीं जान सकें कि बिग बैंग के परिणामस्वरूप वोजूद में आई ब्रह्मांड हमेशा फैलती रहे। मगर हम यह ज़रूर जानते हैं कि बड़े बैंग रुका नहीं है बिग बैंग ब्रह्मांड के प्रसार के मामले में अभी भी जारी है 

एक और आश्चर्य औरत बात कि ब्रह्मांड का प्रसार धीमा नहीं पड़ रहा बल्कि यह तो तेज हो रहा है वास्तव में यह तो चल रहा है। अब हम समझ चुके हैं कि कोई अदृश्य ऊर्जा (Dark Energy) मौजूद है जो आकाशगंगाओं को एक दूसरे से दूर कर रही है। एन राजा हम इस विनाशकारी शक्ति को देख सकता ते हैं न हम जानते हैं कि यह क्यों मौजूद है। मगर क्या अदृश्य ऊर्जा उपस्थित होने मतलब यह तो नहीं है कि बिग बैंग के दौरान बना हुआ सब कुछ खत्म हो जाएगा। अगर अदृश्य ऊर्जा इसी तरह आकाशगंगाओं को एक दूसरे से दूर धकेल रही तो हमारी राष्ट्रीय राजमार्ग गैलेक्सी अकेली ही रह जाएगी। आज से एक खरब साल बाद हमारे पड़ोस में मौजूद ज्यादातर आकाशीय पिंडों हमारी नज़रों से दूर चले जाएंगे । हमारी आकाशगंगा में मौजूद सितारों अपना ईंधन फूंक चुके होंगे। कहकशाएँ अंधेरी होनी शुरू होजाएगी। सार केज़रे अलग अलग हो जाएंगे। बिग बैंग के परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाली ब्रह्मांड पलक झपकते में समाप्त हो जाएगी। ब्रह्मांड की यह मौत शायद सदा ही हो पाएगी । इस बात का पता लगाने के लिए कि ब्रह्मांड की मौत कैसे होगी एक बिग बैंग जैसी पहेली है

सवाल यह है कि कयाकाईनात इस गुब्बारे की तरह फस जायेगी जिसकी हवा निकाल दी जाए। या उसका अंत बड़ी कमी पर होगा जो बिग बैंग के बिल्कुल उलट है। या फिर यह फैलती चली जाएगी और शांत और अंधेरी हो जाेयगी। अगर ब्रह्मांड ध्वस्त होती है तो शायद एक और बिग बैंग की शुरुआत होगी। हो सकता है कि इससे पहले भी ऐसा ही हुआ हो और हमारे ब्रह्मांड फलस्वरूप उत्पन्न होने वाली कोई ब्रह्मांड हो.ममकन है यह एक कभी न खत्म होने वाला सिलसिला हो जिसमें ब्रह्मांड पैदा होती है, ध्वस्त होती हो, नई काईनातों का जन्म होता है। शायद विविधता ्बीझती नियमों के साथ - शायद यह सब कुछ खत्म हो फिर से नए सिरे से शुरू होने का एक चक्करदार सिलसिला हो । चाहे एक ब्रह्मांड हो या कई उन सब का प्रारंभ बिंदु बिग बैंग ही होगा।

.हर वह चीज़ जिस न हमारे शरीर को बनाने में मदद दी, हमारे शरीर के सभी सार, गहने जो हम पहनते हैं, सब कुछ है कि किसी दुर्घटना या खुशी का कारण बनती है, प्यार और प्यार, नफरत और घृणा यह सब बिग बैंग के घटित होने से शुरू होा.हम वास्तव में अगर खुद को समझना चाहते हैं तो हम बिग बैंग को सही ढंग से समझना होगा .14 अरब साल पहले बिग बैंग ने जन्म लिया और इस के साथ ही मकान और आश्रित भी अस्तित्व में आ गए और ब्रह्मांड और उसमें मौजूद हर चीज का भी जन्म हो गया। हमारे चारों ओर सब कुछ बिग बैंग की अन्तरात्मा की देन गए है। इसी की वजह से तत्वों का गठन हो पाई। नियमों भौतिकी ही तुरंत उसी समय उपस्थिति में आ गए थे। सब कुछ 14 अरब साल पहले बिग बैंग के बहुत दुर्लभ समय में शुरू हुई और इसी सर्वोच्च सेकंड में अस्तित्व में आ गई थी। इसी क्षण में हमारे अतीत, वर्तमान और भविष्य सब कुछ पनहा है। प्रत्येक नई खोज हमें निर्माता प्रकृति के काम करने के तरीके को समझने में मदद देती है।

___________________________________ समाप्त शुद _______________ __________________

नाम: ज़हीर अब्बास

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